बिलासपुर । संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स में डॉक्टरों की आपसी तालमेल नहीं होने और वर्चस्व की लड़ाई की खबरें सुर्खियों में बनी हुई है। गत दिनों सिम्स में कार्यरत जूनियर डॉक्टर द्वारा अपने सीनियर डॉक्टर पर अशोभनीय एवं ऐसा आरोप लगा दिया गया जो अति निंदनीय है। इस प्रकार के आरोप न सिर्फ डॉक्टरों की मर्यादा और गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं अपितु मरीजों की जान पर भी आफत बन जाते हैं।ऐसे क्रियाकलापों पर सक्षम अधिकारियों एवं प्रशासन को त्वरित एवं कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। सिम्स में कार्यरत डॉक्टर्स के बीच तालमेल न होने के कारण आपस में मनमुटाव व झगड़ा फसाद की खबरें पिछले कई सालों से देखी जा रही है। सिम्स में अपनी पैठ जमा चुका स्टाफ वर्षों से एक ही जगह पर जमा हुआ हैं, जो हटने का नाम नहीं लेते हैं। शायद ऊंची पहुंच और ऊपर बैठे आकाओं को मलाई पहुंचाने का असर रहता है कि ये अपने ही स्टाफ को डराते धमकाते रहते हैं और मनमानी करने से बाज नहीं आते हैं।


मामले की हो निष्पक्ष जांच
सिम्स जैसे बड़े हॉस्पिटल में जहां गरीब अमीर और दूरदराज से सैकड़ो हजारों की संख्या में मरीज भर्ती होते हैं। जिनके इलाज के लिए सस्ता और सुलभ साधन केवल सिम्स ही है। सिम्स की उपयोगिता क्षेत्र में इतनी अधिक है कि यहां क्षमता से अधिक मरिज रोजाना दिखाई देते हैं। लेकिन यह भी उतनी ही कड़वी और वास्तविक सच्चाई है कि सिम्स के कार्यरत कुछ डॉक्टरों को छोडकऱ अनेक डॉक्टर अपने निजी स्वार्थ और पहुंच की बदौलत पूरी ईमानदारी से अपना कार्य निष्पादन नहीं करते हैं। ऐसा नहीं है कि सिम्स में अपने कार्यों के प्रति समर्पित डॉक्टर नहीं है। कुछ गंभीर व ईमानदार डॉक्टर्स की वजह से सिम्स का नाम व काम अच्छे से चला आ रहा है।लेकिन इस तरह की ओछी घटनाओं के कारण सिम्स की गरिमा तार तार हो रही है।


सिम्स की गरिमा हो रही तार तार
कुछ ऐसे घटनाक्रम सिम्स में होते दिखाई देने लगे है जिससे यहाँ भर्ती मरीजों का विश्वास हिलता दिखाई दे रहा है, वही सिम्स जैसे विश्वसनीय हॉस्पिटल के ऊपर भी प्रश्न चिन्ह लगता दिखाई दे रहा है। ऐसी घटनाओं पर तत्काल अंकुश लगाना नितांत आवश्यक है । ताजा प्रकरण में जो दो डॉक्टरों के आपसी विवाद से बढ़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल विवाद शुरू हुआ गत दिनों डॉक्टर अपर्णा पांडे और उनके सीनियर डॉक्टर पंकज टेम्भूर्रकर के बीच काफी गंभीर आरोप प्रत्यारोप लगाए जाने से। इस सारे घटनाक्रम में मर्यादाओं को, डॉक्टर्स की गरिमा को धूमिल करते हुए ऐसे ऐसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं जो कदाचित उचित नहीं है। फिलहाल दोनों डॉक्टर्स ने एक दूसरे के खिलाफ संबंधित थाने में शिकायत दर्ज करवाई हुई है।इस सारे प्रकरण में सबसे दिलचस्प पहलू यह है की सिनीयर्स पर आरोप लगाने वाली डॉक्टर पांडे के खिलाफ ही सिम्स में भर्ती मरीज के परिजनों ने एट्रोसिटी थाने में दुव्र्यवहार व अपमानित करने की भी शिकायत दर्ज करवाई हुई है,जिसकी जांच चल रही है। अब देखना यह है कि इस तरह के आरोप लगाना तो सरल है लेकिन उसे साबित करना तो जांच का विषय है।फिलहाल पुलिस प्रशासन और सक्षम अधिकारियों के पास मामला जांच के लिए गया हुआ है, देखो जांच कार्यवाही का ऊंट किस करवट बैठता है।


सीनियर पर लगाया गया आरोप गंभीर
यह ऐसे गंभीर आरोप हैं जो लगा देना तो सरल है ,लेकिन उसको साबित करना बड़ा टेढीखीर है। वैसे भी जब डॉक्टर टेम्भूर्रकर की छवि क्षेत्र में काफी अच्छी रही है, उनके इलाज से सिम्स की छवि बनी हुई है। यहां भर्ती अनेक मरीजों को उन्होंने अपने इलाज से स्वस्थ किया है। काम के प्रति समर्पित और अपने काम में दक्ष डॉक्टर के खिलाफ यकायक इस प्रकार आरोप लगाना कहां तक उचित और सही है, यह तो समय बतायेगा?


लगाए गए आरोप में कितनी सच्चाई
हो सकता है ऐसे आरोप में कुछ सच्चाई हो। इसलिए इस प्रकरण में गहराई से पूरी तत्परता से जांच कार्यवाही किए जाने के पश्चात ही किसी भी पक्ष को दोषी ठहराया जा सकता है। यहां इस पक्ष पर भी गौर करना लाजिमी होगा कि डॉक्टर जिन्होंने आरोप लगाया है वह भी कई आरोपों से जूझ रही हैं। उनके ऊपर भी मरीजों के प्रति लापरवाही और पैसे मांगने की शिकायतें रही है। इनके विरुद्ध पुलिस थाने में भी शिकायत दर्ज किया गया है जिसकी जांच चल रही है।
कुल मिलाकर इस सारे घटनाक्रम का निचोड़ यह है कि संभाग के सबसे बड़े और लोकप्रिय अस्पताल सिम्स की गरिमा, मर्यादा बरकरार रहे। और आने वाले मरीजों का विश्वास पूर्ववत बना रहे ,इसके लिए सक्षम अधिकारियों को निष्पक्ष रूप से त्वरित न्याय हेतु पूरी गहराई से जांच कार्यवाही कर आरोप प्रत्यारोप के इस दौर को समाप्त करना सर्वथा उचित होगा।