खंडवा लोकसभा सीट पर रहता है महाराष्ट्र की राजनीति का असर
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी अपनी जीत को साथ लेकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है, तो कांग्रेस भी हार के सबक लेकर लोकसभा चुनाव में नई तैयारियों के साथ जुटी है। गौरतलब है कि प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें आती हैं, 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने एकतरफा 28 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस ने 1 सीट जीती थी। अब बीजेपी का लक्ष्य पूरी 29 सीटों पर हैं, तो वहीं कांग्रेस भी अपने प्रदर्शन को सुधारने के प्रयास में लगी है। बात अगर प्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट की जाए तो यह सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए बेहद अहम मानी जाती है।
खंडवा लोकसभा सीट राज्य में निमाड़ की सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। खंडवा लोकसभा सीट सामान्य के लिए आरक्षित है। ये सीट महाराष्ट्र के इलाकों से सटी हैं, ऐसे में इस सीट पर महाराष्ट्र की सियासत का भी असर दिखता है। खास बात यह है कि यह सीट मध्य प्रदेश में बीजेपी का मजबूत किला मानी जाती है, जहां बीजेपी लगातार जीत हासिल कर रही है। इस सीट से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्व। कुशाभाऊ ठाकरे, स्व। नंदकुमार सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अरुण यादव प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से इस बार भी यहां कांग्रेस की राह मुश्किलों भरी होगी। इस खबर में हम आपको खंडवा लोकसभा सीट के समीकरणों के बारे में बताएंगे।
दरअसल, है कि खंडवा सीट से सबसे ज्यादा नंदू भैया यानि नंद कुमार सिंह चौहान सबसे ज्यादा जीतने वाले सांसद रह चुके हैं। यहां की आम जनता ने उन्हें 6 बार चुनकर संसद भवन तक पहुंचाया था। खंडवा लोकसभा सीट पर सबसे पहले 1962 में चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस के महेश दत्ता ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1967 और 1971 में भी कांग्रेस ने सीट संभाल कर रखी। लेकिन साल 1977 में खंडवा की जनता ने भारतीय लोकदल को यहां से जीता दिया। हालांकि 1980 में यहां फिर कांग्रेस का पंजा उठा और शिवकुमार नवल सिंह सांसद चुने गए। 1984 में फिर कांग्रेस से कालीचरण रामरतन जीते लेकिन पहली बार 1989 में यहां से बीजेपी ने जीत हासिल की। हालांकि बीजेपी ज्यादा दिन यहां पैर नहीं जमा पाई, और साल 1991 में कांग्रेस फिर कांग्रेस आ गई।
बीजेपी के यहां पहली बार 1996 में कमल खिलाया। 1996 में लोकसभा चुनाव में पार्टी ने नंदकुमार सिंह चौहान को मैदान में उतारा, और नंदू भैया ने यहां कमल खिला दिया। इसके बाद वे अगले 3 चुनाव भी जीतने में कामयाब रहे लेकिन 2009 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के अरूण यादव ने हरा दिया। लेकिन साल 2014 की मोदी लहर में नंदू भैया फिर खंडवा से सांसद बनते हैं, और साल 2019 तक वो इस सीट को अपने कब्जे में रखते है। लेकिन उनके निधन के बाद यह सीट होती है और फिर यहां से बीजेपी ही जीत हासिल करती रही है। 2022 में नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के चलते इस सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें बीजेपी के ज्ञानेश्वर पाटिल ने जीत हासिल की थी।
खंडवा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें खंडवा, बुरहानपुर, नेपानगर, पंधाना, मांधाता, बड़वाह, भीकनगांव और बागली शामिल हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2023 में इन 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर बीजेपी, 1 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया हुआ है। यहां आने वाली सिर्फ एक विधानसभा सीट भीकनगांव पर कांग्रेस को जीत मिली है बाकी सभी सातों सीट पर बीजेपी का कब्जा है। इस तरह सीटों के समीकरण के हिसाब से ऊपरी तौर पर इस लोकसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा नजर आ रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से खंडवा लोकसभा सीट पर कुल 19 लाख 59 हजार 436 वोटर हैं। इनमें से 9 लाख 89 हजार 451 पुरुष और 9 लाख 49 हजार 862 महिला वोटर हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में खंडवा सीट बीजेपी के खाते में गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर नंदकुमार सिंह चौहान ने करीब 2 लाख 73 हजार मतों से कांग्रेस के अरुण यादव को हराया था। नंदकुमार सिंह तो कुल 8 लाख 38 हजार से ज्यादा मत मिले। लेकिन नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद यहां साल 2021 में उपचुनाव हुए। जिसमें भी बीजेपी को बंपर जीत मिली। खंडवा लोकसभा सीट बीजेपी प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल ने 82140 वोटों से जीती। यहां से 632455 वोट ज्ञानेश्वर पाटिल को मिले, जबकि 550315 वोट कांग्रेस के राज नारायण सिंह को मिले।
खंडवा लोकसभा के जातीय समीकरण की अगर बात की जाए तो यहां अनुसूचित जाति और जनजाति का खासा दबदबा है। 2019 लोकसभा के मुताबिक यहां एससी-एसटी वर्ग के 7 लाख 68 हजार 320 मतदाता हैं। 4 लाख 76 हजार 280 ओबीसी के, अल्पसंख्यक 2 लाख 86 हजार 160 और सामान्य वर्ग के 3 लाख 62 हजार 600 मतदाता हैं। इसके अलावा अन्य की संख्या 1500 है। इस सीट पर आदिवासी और अल्पसंख्यक वोट बैंक को निर्णायक माना जा रहा है।
बता दें कि यहां होने वाले लोकसभा चुनाव में हमेशा खंडवा बनाम बुरहानपुर का मुद्दा हमेशा लोगों की जुबां पर रहा है। इसकी वजह ये है कि यहां बीजेपी पिछले 12 चुनावों से लगातार बुरहानपुर से कैंडिडेट उतार रही है। जबिक कांग्रेस ने पिछले चुनाव में खंडवा से प्रत्याशी उतारा था। खंडवा शहर के लोग इस बात से हमेशा बीजेपी से नाराज आते हैं। बीजेपी ने सिर्फ 4 बार लोकल उम्मीदवार उतारा है, वहीं कांग्रेस ने भी 4 उम्मीदर लोकल उतारें हैं।
खंडवा लोकसभा सीट निमाड़ अंचल का केंद्र मानी जाती है, ऐसे में बीजेपी यहां पूरा जोर लगाएगी, जबकि कांग्रेस भी इस बार कोई मौका नहीं छोडऩा चाहती है। खंडवा लोकसभा सीट पर अब भी कई समस्याएं हैं, बुरहानपुर में केला की खेती, खंडवा में किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा और पर्यटन की दृष्टि से इस क्षेत्र में बहुत काम होना बाकी है।