भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और उनकी गुणवत्ता में सुधार के लिए निरंतर प्रयासरत है। "स्वस्थ मध्यप्रदेश" की संकल्पना को साकार करने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इससे प्रदेश के हर नागरिक को सुलभ, नि:शुल्क और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं। प्रदेश सरकार का संकल्प है कि हर नागरिक को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मिलें और प्रदेश एक आदर्श स्वास्थ्य मॉडल के रूप में स्थापित हो। आत्मनिर्भर और समृद्ध मध्यप्रदेश के निर्माण के लिये प्रदेश सरकार निरंतर अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग का एकीकरण किया गया है। इस कदम से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और मेडिकल कॉलेजों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है। साथ ही मरीजों को समय पर और बेहतर इलाज मिलना सुनिश्चित हुआ है।

46 हजार 491 नए पदों का सृजन

स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए मानव संसाधनों में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने ‘पब्लिक हैल्थ कैडर’ की शुरुआत की है। इसमें 46,491 नए पदों का सृजन किया गया है, जिन्हें अगले दो वर्षों में भरा जाएगा। इस पहल से प्रदेश के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की कमी दूर होगी और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आएगा।

प्रदेश में नि:शुल्क दवाएं और जांच सेवाएं भी व्यापक स्तर पर उपलब्ध कराई जा रही हैं। जिला अस्पतालों में अब 530 प्रकार की दवाएं और 132 प्रकार की जांच सेवाएं उपलब्ध हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी 80 प्रकार की जांच सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। इन प्रयासों से गरीब और जरूरतमंद मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं।

प्रदेश में 11,789 हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स सक्रिय किए गए हैं, जहां नागरिकों को घर के पास उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। इन सेन्टर्स से अब तक 3.62 करोड़ से अधिक दवाइयाँ वितरित की जा चुकी हैं और 2.91 करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं। इसके अलावा, टेलीमेडिसिन सेवाओं के अंतर्गत 20.47 लाख से अधिक कॉल्स के जरिए ग्रामीण इलाकों के मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह उपलब्ध कराई गई है।

आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश अग्रणी है। अब तक प्रदेश में 4 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं, जिनमें 99% कार्डों का आधार e-KYC सत्यापन हो चुका है। 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के 9 लाख वरिष्ठ नागरिकों के कार्ड बनाए गए हैं। यह योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की एक मजबूत गारंटी बन चुकी है। 70 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों के आयुष्मान कार्ड बनाने में मध्यप्रदेश शीर्ष पर है।

प्रदेश में पीएमएयर एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की गई है। इससे दूर-दराज के क्षेत्रों से गंभीर मरीजों को तत्काल बड़े अस्पतालों में पहुंचाकर जीवनरक्षक उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। यह सेवा स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुधार में एक महत्वपूर्ण कदम है।

चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करने के लिए प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों का विस्तार किया गया है। वर्ष-2003 तक प्रदेश में केवल 5 शासकीय मेडिकल कॉलेज थे, जो अब बढ़कर 17 हो गए हैं। एमबीबीएस सीटों की संख्या 720 से बढ़कर 2,575 हो गई है। आगामी 2 वर्षों में 8 और शासकीय मेडिकल कॉलेज बनाये जाएँगे। इसके अलावा, 12 जिलों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की प्रक्रिया जारी है। प्रदेश में नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा संबंधी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिये सभी आवश्यक प्रबंध किये जा रहे हैं। वर्तमान में 24 शासकीय नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं, 14 और मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। इससे प्रदेश में जल्द ही 38 नर्सिंग कॉलेज हो जाएंगे। 250 पैरामेडिकल कॉलेजों में लगभग 25,000 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए मेडिकल सिटी

मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए मेडिकल सिटी की स्थापना उज्जैन में की जा रही है। यह मेडिकल सिटी प्रदेश के नागरिकों और देश-विदेश से आने वाले मरीजों के लिए विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त करने का हब बनेगी। साथ ही, यह परियोजना प्रदेश में रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा देगी।