भोपाल । मौसम प्रणालियों के असर से पूर्वी एवं उत्तरी मध्य प्रदेश में रुक-रुककर वर्षा हो रही है। गहरा कम दबाव का क्षेत्र उत्तरी मध्य प्रदेश के आसपास बना हुआ है। मानसून द्रोणिका भी इस मौसम प्रणाली से होकर गुजर रही है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, गुरुवार को ग्वालियर, चंबल एवं सागर संभाग के जिलों में कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है। जबलपुर, शहडोल एवं भोपाल संभाग के जिलों में कहीं-कहीं मध्यम वर्षा होने के आसार हैं। मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक, गहरा कम दबाव का क्षेत्र उत्तरी मध्य प्रदेश के आसपास बना हुआ है। मानसून द्रोणिका फिरोजपुर, नारनोल, उत्तरी मध्य प्रदेश पर बने गहरे कम दबाव के क्षेत्र से पेंड्रा रोड पुरी से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक बनी हुई है। उत्तरी पंजाब और उसके आसपास हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। एक पश्चिमी विक्षोभ पाकिस्तान के आसपास द्रोणिका के रूप में बना हुआ है। पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि अलग-अलग स्थानों पर बनी इन मौसम प्रणालियों के असर से ग्वालियर, चंबल एवं सागर संभाग के जिलों में कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है। प्रदेश के शेष क्षेत्रों विशेषकर जबलपुर, शहडोल एवं भोपाल संभाग में हल्की से मध्यम वर्षा होने के आसार हैं। शुक्रवार से प्रदेश में वर्षा की गतिविधियों में कुछ कमी भी आ सकती है। ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड में मानसून आफत बनकर बरस रहा है। मंगलवार दोपहर से शुरू हुई वर्षा का क्रम बुधवार तक जारी रहा, जिसने अंचल में औसत वर्षा के रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। 24 घंटे के भीतर ही कई जिलों में 100 मिमी से ज्यादा वर्षा दर्ज की गई। टीकमगढ़ के बानसुजारा, शिवपुरी के मड़ीखेड़ा, ग्वालियर के तिघरा सहित लबालब चल रहे अंचल के छोटे बांधों के गेट खोल दिए गए, जिससे नदियों को जलस्तर बढ़ गया है। ग्वालियर, भिंड-मुरैना के दो दर्जन गांवों को पहले ही खाली करा लिया गया था, इसके बावजूद कई गांव पानी से घिर गए हैं। कई जगह पुल-पुलिया की सड़क बहने से आवगमन बंद हो गया। बुधवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक ग्वालियर में 53, शिवपुरी में 18, रायसेन में चार, इंदौर, दमोह, मंडला, सागर एवं टीकमगढ़ में एक, गुना एवं बैतूल में में 0.2 मिलीमीटर वर्षा हुई।