13 साल की अन्ना मैरी ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को किया फतह
केरल की एक 13 साल की लड़की ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह किया है। इसी के साथ वह सबसे कम उम्र की महिलाओं में से एक बन गईं हैं, जिन्होंने ये उपलब्धि अपने नाम की है। 13 वर्षीय अन्ना मैरी केरल के अलापुझा जिले के चेरथला की निवासी हैं। अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह करने के साथ ही उन्होंने शिखर पर ताइक्वांडो पूमसे (पैटर्न) और किक्स का प्रदर्शन भी किया।
अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी को किया फतह
जानकारी के अनुसार अन्ना मैरी अपने पिता के शाइन वर्गीस के साथ 28 अक्तूबर को चेरथला से रवाना हुई थीं। मैरी ने अपनी इस यात्रा को रोमांचक बताया। उन्होंने कहा कि हमने 1 नवंबर को माउंट किलिमंजारो पर चढ़ना शुरू किया। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और क्रमिक चढ़ाई के कारण लेमोशो मार्ग को चुना, हालांकि इसमें अभी भी कई चुनौतियाँ थीं। मैरी ने आगे बताया कि हमने 18,885 फीट ऊंचे पर्वत को फतह करने के लिए सात दिनों में 68 किमी की यात्रा की। इस यात्रा में वर्षावन, दलदली भूमि, अल्पाइन रेगिस्तान और शिखर के विस्मयकारी दृश्यों सहित लुभावने परिदृश्य शामिल थे। मैरी ने आगे बताया कि 7 नवंबर को, मैंने शिखर पर विजय प्राप्त की।
अन्ना मैरी ने आगे बताया कि सबसे ज्यादा रोमांचकारी क्षणों में से एक बारांको दीवार पर चढ़ना था, जो एक प्राकृतिक चट्टान है। जिसने मेरे चढ़ाई कौशल का परीक्षण किया। मैरी ने कहा, "कृत्रिम दीवार पर चढ़ने की पृष्ठभूमि के साथ, मैंने चुनौती को स्वीकार किया और सफलतापूर्वक खड़ी चढ़ाई को पार किया। किलिमंजारो में आश्चर्यजनक सूर्योदय और अफ्रीकी परिदृश्य के मनोरम दृश्य भी देखे।"
फ्रेंडशिप माउंट पर भी जा चुकीं हैं मैरी
गौरतलब है कि अन्ना मैरी ने इसी साल जुलाई के महीने में हिमालय में फ्रेंडशिप माउंट पर विजय प्राप्त की थी। मैरी ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, "तभी मैंने किलिमंजारो के बारे में सुना। इसने मुझे मोहित कर लिया। अब मेरा लक्ष्य सात शिखरों (सात महाद्वीपों में से प्रत्येक में सबसे ऊंचे) पर विजय प्राप्त करना है।"
किलिमंजारो पर चढ़ाई कर रहे थे दो भारतीय
मैरी ने बताया कि किलिमंजारो की चढ़ाई करने के दौरान अमेरिका, जर्मनी, डेनमार्क, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और चीन जैसे विभिन्न देशों के कई समूह थे। लेकिन यहां पर केवल दो भारतीय थे। मैरी के पिता शाइन वर्गीस ने बताया कि इस बहादुरी के लिए मैरी को स्थानीय गाइडों ने सिम्बा नाम दिया है। मैरी लोगों से "ड्रग्स के नहीं, खेलों के आदी होने" का आग्रह करती आईं हैं। वे हमेशा शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ जीवन शैली की शक्ति पर जोर देती हैं। मैरी के पिता वर्गीस और मैरी की मां प्रीति मारिया थॉमस दोनों ही आईटी पेशेवर हैं। वहीं, मैरी चेरथला के सेंट मैरी हाई स्कूल में कक्षा 8वीं पढ़ाई करती हैं।