भोपाल । सरकारी कॉलेजों के पदोन्नत प्राध्यापकों को अब 10 हजार रुपए महीना एकेडमिक ग्रेड-पे (एजीपी) दी जाएगी। प्रांतीय शासकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ द्वारा हाई कोर्ट में लंबित याचिका वापस लेने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इस आदेश को प्रभावशील कर दिया है। कैबिनेट ने 4 मार्च 2024 को इन प्राध्यापकों को 1 जनवरी 2006 से 37400-67000+10000 एजीपी वेतनमान देने की स्वीकृति दी थी। साथ ही 14 सितंबर 2012 के विभागीय आदेश को संशोधित करने और 19 मार्च 2013 के विभागीय आदेश को निरस्त करने के लिए विभाग को अधिकृत किया था। इसके बाद विभाग ने सितंबर 2024 में प्राध्यापक संघ द्वारा याचिका वापस लेने की शर्त के साथ 10000 रुपए एजीपी के आदेश जारी किए थे। एजीपी में वृद्धि का लाभ प्रदेश के करीब 5 हजार प्राध्यापकों को मिलेगा।
पदोन्नत प्राध्यापकों की एजीपी 9000 से बढ़ाकर 10000 रुपए करने को लेकर हाई कोर्ट में 4 याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें से 3 याचिकाओं को हाई कोर्ट ने डिस्पोज ऑफ कर दिया। जबकि प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ ने याचिका वापस ले ली। उच्च शिक्षा विभाग ने सितंबर 2024 में आदेश तो जारी कर दिए, पर उसमें याचिका वापस लेने की शर्त थी और शासन एवं सीधी भर्ती प्राध्यापक संघ की याचिका दायर होने के कारण उस आदेश का पालन नहीं हो पा रहा था। प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष प्रो. कैलाश त्यागी फिर से हाई कोर्ट गए। हाई कोर्ट ने शासन और सीधी भर्ती प्राध्यापक संघ की ओर से दायर तीनों याचिकाएं डिस्पोज ऑफ कर दीं।


30 माह मिले थे 10 हजार रुपए
प्रदेश में 1 जनवरी 2006 से 6वां वेतनमान लागू हुआ है। जिसमें प्राध्यापकों को 10000 रुपए महीना एजीपी देने का निर्णय लिया गया था। प्राध्यापकों को शुरू के 30 माह 10 हजार रुपए महीने ही दिए गए, पर उच्च शिक्षा विभाग के तात्कालीन कमिश्नर ने इसे घटाकर 9000 रुपए कर दिया। इसके लिए तय प्रक्रिया भी पूरी नहीं की गई। इस आदेश को प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ ने हाई कोर्ट में चेलेंज किया था।