श्रीराम नाम से समस्त संताप दूर होते है : पं. उमाशंकर व्यास
भोपाल। तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रतिष्ठा पुरूष पंडित गोरेलाल शुक्ल स्मृति समारोह के अंतर्गत पंडित रामकिंकर सभागार में दिनांक 30 नवंबर 2023 को प्रथम दिवस उद्घाटन संध्या पर परमपूज्य महाराजश्री पं. उमाशंकर व्यास ने प्रवचन प्रसंग के अतंर्गत कहा कि भगवान के नाम, जप और उनकी कथा श्रवण से हमारे संताप दूर होते है। जैसे सूर्य के उदय होते ही अधंकार स्वत: दूर हो जाता है। इसलिए योगीजन भी रामनाम में रमण किया करते है। तुलसी कहते है कि कलियुग में न कर्म है, न भक्ति है और न ही ज्ञान है। रामनाम ही एकमात्र आधार है। आपने कहा कि भक्त वही है जो हृदय में सद्गुणों को धारण करे। जहाँ सद्गुण है वहाँ दुर्गेणों का प्रभाव नहीं रहता है। इसलए नाम साधना में यह सावधानी आवश्यक है कि हम प्रभु का नाम जप करते हुए प्रार्थना करें। नाम कैसे लिया जाए यदि मन की सरलता, सहजता और पवित्रता बनी हुई है तो न केवल नाम जप प्रभावी होता है बल्कि साधक को सुखद फलों की प्राप्ति शीघ्र हाती है।
कार्यक्रम के शुभारंभ में अपने उद्बोधन में कार्याध्यक्ष रघुनंदनशर्मा ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि जिनकी स्मृति में यह प्रवचनमाला प्रारम्भ की गई थी वे अंगेजी साहित्य के विद्वान होते हुए भी भारतीय धर्म, संस्कृति और अध्यात्म के प्रति निष्ठावान थे। समय के पाबंद, प्रशासक,रामानुरागी के रूप में उनकी ख्याति थी। मानस भवन उनका ही कीर्ति-कलश है।
आपने ’समय के साक्ष्य‘ के रचयिता देवेन्द्र कुमार रावत की कृति के संबंध में कहा कि कवि का चिन्तन, उसके भाव और शब्द उनकी विचारधारा के वाहक होते है। इस दृष्टि से समय के साक्ष्य की कविताएँ प्रेरणा देती है। आपने इस अवसर पर व्यासपीठ पर विराजित उमाशंकरजी शर्मा व्यास ,डॉ.विकास दवे, सुशील केड़िया एवं सभी उपस्थिति श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि आपकी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा में वृध्दि हुई है।
कार्यक्रम में समय के साक्ष्य के रचयिता देवेन्द्र कुमार रावत ने कहा कि आज भ्रष्टाचार एक शिष्टाचार बन गया है। हम सब इसकी गिरत में है। इस पर मैंने समय के साक्ष्य के माध्यम से समाज का सत्य उजागर किया है। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि सुधी पाठकों का आशीर्वाद मुझे प्राप्त होगा। आपने सभी के प्रति तथा प्रकाशक श्रीमती इति निगम के कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि डॉ.विकास दवे ने अपने उद्बोधन में कहा कि रामचरितमानस हमें बताती है कि हमें विकारों पर विजय प्राप्त करके स्वयं एवं समाज को कैसे सुखी रखना है इसके सूत्र मानस में दिये गये है। आपने समय के साक्ष्य के संबंध में कहा कि निश्चित ही यह कृति सामाजिक विदुपताओं को उजागर करती है वहीं समस्याओं का समाधान भी देती है। मुझे विश्वास है कि साहित्य जगत इस कृति का आदर करेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुशील केडिया ने कहा कि मानस भवन पूज्य रामकिंकर जी की व्यासपीठ है। इस पीठ से हमेशा सदाचार सद्गुणों की शिक्षा मिलती रही है। आपने समय के साक्ष्य में अध्यात्म पर आधारित कविता के संबंध में कहा कि आज भी राम है तो रावण भी है। इसे हम श्रीराम की भक्ति के प्रभाव से ही समाप्त कर सकते है। ऐसे भाव कवि ने दिये। आपने सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।
कार्यक्रम में देवेन्द्र कुमार रावत की कृति ’समय के साक्ष्य‘ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विकास दवे, सुशील केडिया,राजेन्द्र शर्मा, संयोजक,कैलाश जोशी, सचिव,प्रबंधकारिणी के वरिष्ठ सदस्य प्रभुदयाल मिश्र, डॉ.राजेश श्रीवास्तव, श्रीमती सुशीलाशुक्ला, माघवसिंह दांगी, महेश दुबे,मनीष भट्ट उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन कमलेश जैमिनी के द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन प्रभुदयाल मिश्र ने किया।
कल प्रवचन प्रसंग संध्या 6:30 से होंगे।