जोशीमठ के बाद उत्तरकाशी के गांवों में घरों में आई दरार, लोगों में हड़कंप
उत्तरकाशी । उत्तराखंड में जोशीमठ के बाद अब उत्तरकाशी के गांवों में घर की दीवारों पर दरारें नजर आ रही हैं। मस्तादी गांव के निवासियों में उस समय हड़कंप की स्थिति मच गई, जब उन्हें घर की दीवारों पर दरार नजर आई।बताया जा रहा हैं कि भारी बारिश के बाद जमीन खिसकने की वजह से ऐसा हुआ है। उत्तरकाशी जिले के घरों में दरार वाले गांव के प्रधान सत्यनारायण सेमवाल ने बताया कि साल 1991 में आए भूकंप के बाद से इलाके में जमीन के खिसकने की शुरुआत हो गई थी। उन्होंने बताया कि यहां के कई घरों में ताजा दरारें पड़ी नजर आई हैं। हमें चिंता है कि अब आगे कौन सी मुसीबत देखने को मिलेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में कोई एक्शन लेना चाहिए। कम से कम जिन 30 के करीब घरों में दरारें नजर आई हैं, वहां रह रहे परिवारों को विस्थापित करना चाहिए। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि प्रभावित इलाकों के सर्वे के लिए भूविज्ञानियों की टीम को भेजा जाएगा। जानकारों की सलाह पर जरूरी एक्शन लिया जाएगा।
भूविज्ञानियों की एक टीम ने 1997 में गांव का सर्वे करने के बाद जमीन के खिसकने को लेकर तत्काल कदम उठाने की सलाह दी थी। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि समस्या के निदान की दिशा में कोई भी प्रभावी कदम आज तक नहीं उठाया गया। जमीन खिसकने और दरारें पड़ने के अलावा नारायणपुरी और त्रिपकुंड मंदिरों के बीच अलकनंदा नदी के पास रहने वाले लोगों को भूस्खलन का भी डर सता रहा है। निवासियों का कहना है कि बद्रीनाथ मास्टर प्लान के तहत जारी रिवरफ्रंट कार्य की वजह से ऐसा खतरा मंडरा रहा है।